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Generation of computer कंप्यूटर की पीढ़ियां

Generation of Computer Explain in hindi ( कंप्यूटर की पीढ़ियां):-


नमस्कार Generation of Computer के बारे में जानना हमारे लिए बहुत जरूरी है चाहे आप कोई कंप्यूटर कोर्स कर रहे हो या CCC Course की तैयारी कर रहे हों। इससे सम्बंधित Question विभिन्न परीक्षा में पूछे जाते हैं। अगर आपको Computer के पीढ़ियों के बारे में पता नहीं है तो यह पोस्ट आपके काम आ सकती है इस पोस्ट में Computer के विभिन्न पीढ़ियों जैसे First Generation , Second Generation आदि के बारे में बताया गया है। जैसे की कंप्यूटर में पहले क्या Use होता था और कैसे कैसे बदलाव हुए आदि।

                FIRST GENERATIONS   कंप्यूटर की पहली पीढ़ी


               VACUUM TUBE (निर्वात नली)

vacuum tube


आपने पिछली पोस्ट में देखा था कंप्यूटर का इतिहास (HISTORY OF COMPUTER)। आपको इस पोस्ट में कंप्यूटर की पीढ़ियों  के बारे में बताया जा रहा है।

वैक्यूम ट्यूब (VACUUM TUBE) (1942 से 1954)
वैक्यूम (VACUUM TUBE)  सीसे का बना था। बल्ब जैसा। जो काफी अधिक संख्या मतलब हजारो की संख्या में लगे होते थे। इनके द्वारा बिजली की खपत भी अधिक होती थी। 

वैक्यूम ट्यूब (VACUUM TUBE) के उपयोग में लिए जाने वाले नाजुक शीशे के तार अत्यधिक ऊर्जा से जल्द ही जल जाते थे।





और इनके बाकी पुर्जे भी जल्द ही ख़राब हो जाते थे। जिससे इनको तुरंत बदलना पड़ता था।
इनके रखरखाव पर विषेस ध्यान देना पड़ता था।
इसके कारण इनको जहाँ भी रखा जाता था वातानुकूलन की व्यवस्था करना पड़ता था।

इनका आकार भी बहुत बड़ा होता था। आकार बड़ा होने के कारण इन्हें बड़े कमरो में रखना पड़ता था। इनका उत्पादन लागत भी अधिक होता था।

ये मशीनी भाषा पर निर्भर होते थे। जो निम्नतम स्तर के प्रोग्रामिंग भाषा (PROGRAMING LANGUAGE)  के निर्देशो के आधार पर कार्य करते थे।

इनके उपयोग के लिए उपयुक्त निर्देश (PROGRAM) लिखना बहुत ही कठिन था।

इसके कारण इनका व्यवसायिक उपयोग कम होता था।
रैम (RAM) के मेमोरी (MEMORIE) के लिए
विद्युतचुम्बकीय प्रसार (RELAY) का प्रयोग किया गया।

इनपुट (INPUT) के लिए इनमे पंचकार्ड एवम् पेपरटेप का उपयोग किया जाता था। आउटपुट (OUTPUT) प्रिंटर (PRINTER) के द्वारा प्रिंट करके निकाला जाता था।

इनमे ZUSE- Z3, ENIAC, EDVAC, EDSAC, UNIVAC, IBM आदि प्रमुख रहे।

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                 SECOND GENARETION   कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी

TRANSISTOR (ट्रांजिस्टर)


ट्रांजिस्टर (TRANSISTOR) 1955 से 1964
आपको इस पोस्ट में कंप्यूटर के दूसरी पीढ़ी ट्रांजिस्टर  के बारे में बताया गया है। जो की वैक्यूम ट्यूब (VACUUM TUBE) के स्थान पर प्रयोग में लाये जाते थे। या लाये गए।

ट्रांजिस्टर (TRANSISTOR) का आविष्कार BELL LABORATORIES ने 1947 ईसवी में कीया था। ट्रांजिस्टर इस पीढ़ी के लिए बरदान से कम नहीं था।
ट्रांजिस्टर जेरमेनिअम (GERMANIUM) और  सेमीकंडक्टर (SEMICONDUCTOR) पदार्थ से बने होते थे।





ट्रांजिस्टर आकार में बहुत छोटे होते थे। इसके कारण वैक्युम ट्यूब (VACUUM TUBE) के स्थान पर SWITCHING DEVICE का उपयोग होने लगा।
ट्रांजिस्टर की स्विचिंग प्रणाली बहुत तेज थी। जिसके कारण उसकी कार्य करने की छमता वैक्यूम ट्यूब (VACUUM TUBE) के मुकाबले
बहुत तेज़ थी।

प्रथम पीढ़ी के मुकाबले इनसे कम ऊर्जा निकलती थी। परन्तु ठंडक बनाये रखने के लिए वातानुकूलन की व्यवस्था की अब भी जरूरत थी।

इनका उत्पादन लागत भी कम हुआ।
इनकी मेमोरी में बिद्युतचुम्कीय प्रसार के जगह चुम्बकीय अभ्यन्तर का प्रयोग हुआ।
जिसके कारण निर्देशो को मेमोरी में ही स्थापित
करना हुआ। पहली पीढ़ी के मुकाबले इनकी संचयन छमता अधिक थी।

गूढ़ मशानी भाषा के जगह इनमे उपयोग के लिए
सांकेतीक / अस्सेम्ब्ली भाषा का प्रयोग हुआ। जिसके कारण निर्देशो को सब्दों में दर्ज करना सम्भव हुआ।

COBOL , ALGOL , FORTRAN ,  SNOBOL जैसे प्रोग्रामिंग भाषा तथा क्रमागत प्रचालन तंत्र (BATCH OPERATING SYSTEM) इसी दौरान अस्तित्व में आएं।

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                 THIRD GENERATION कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी



IC-इन्टीग्रेटर सर्किट INTEGRATOR CIRCUIT  (1965 से 1974)

ic

कंप्यूटर के विकास में यह चरण काफी रोमांचकारी रहा। इतनी क्रान्ति अब तक के विकास पथ में नहीं आई थी।

(IC-INTEGRATOR CIRCUIT) इन्टीग्रेटर सर्किट को बनाने में बहुत सारे ट्रांजिस्टर्स (TRANSISTORS) रेजीस्टर्स और कैपसीटर्स को इक्कठा करके एक ही सिलिकॉन चीप पर स्थापित किया गया था।

इनमे तारो का इस्तेमाल खत्म हो गया। और ऊर्जा का उत्पन्न होना बहुत ही घट गया। परन्तु वाताकुलन की व्यवस्था की अब भी जरूरत थी।

लगभग 10 इन्टीग्रेटर सिर्किटो (INTEGRATOR CIRCUIT) को सिलिकान  (SILICON) की लगभग 4 मिमी सतह पर स्थापित करना सम्भव हुआ।

इन्टीग्रेटर सिर्किट को माइक्रोइलेक्ट्रोनिक (MICROELECTRONICS) तकनीक के नाम से भी जाना जाता है। इसे स्माल स्केल इंट्रीगेसन (SSI-SMALL SCALE INTEGRATION) के नाम से जाना जाता है।

आगे जाकर 100 IC को एक साथ सिलिकन चिप के एक ही सतह पर स्थापित करना संभव हुआ। इसे मिडियम स्केल इंट्रीगेसन (MSI-MEDIUM SCALE INTEGRATION) के नाम से जाना जाता है।

तकनिकी सुधारो के चलते इसकी मेमोरी छमता और अधिक बढ़ती चली गई। लगभग 4 मेगाबाइट (MB) तक पहुच गई।

वहीँ मैग्नेटिक डिस्क की छमता भी बढ़कर 100 मेगाबाइट (MB) प्रति डिस्क तक हो गई।

इसमें इनपुट (INPUT) के लिए कुंजीपटल और आउटपुट (OUTPUT) के लिए मॉनिटर (MONITOR) का प्रयोग होने लगा।





उच्चस्तरीय भाषा (HIGH LEVEL LANGUAGE) में सुधार और मानकीकरण होने से एक कंप्यूटर पर लिखे गए प्रोग्राम को दूसरे कंप्यूटर में चलाना संभव हुआ।

FORTRAN IV, COBOL, 68 जैसे उच्चस्तरीय प्रोगामिंग भाषा प्रचलन में आये|

इनका आकार पहली और दूसरी पीढ़ी के मुकाबले काफी छोटा हो गया। इनकी उत्पादन लागत पहली और दूसरी पीढ़ी के मुकाबले भी कम थी।

जिससे मेनफ़्रेम कंप्यूटर (MAIN FRAME) कंप्यूटर का व्यावासिक उत्पादन भी आसान हो गया। इनका प्रचलन भी बढ़ने लगा।

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(Computer Generation  Define in Hindi)


                FOURTH GENERATION कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी।

माइक्रोप्रोसेसर चिप-VLSI (VERY LARGE SCALE INTEGRATED)
(1975 से 1989)

माइक्रोप्रोसेसर चिप के निर्माण ने कंप्यूटर को और बेहतरीन बना दिया। MSI सर्किट का रूपांतर LSI और VLSI (VERY LARGE SCALE  INTEGRATED) सर्किट में हुआ। इसमें लगभग 50000 ट्रांजिस्टर (TRANSISTOR) एक चिप पर स्थापित हुए।

तीसरी पीढ़ी के मुकाबले इनकी बिद्युत खपत काफी कम हो गयी। इसके कारण इनमे ऊर्जा का उत्पादन भी कम हुआ। इस दौर में वातकुलन का इस्तेमाल अनिवार्य नहीं रहा।

इनके मेमोरी में चुम्बकीय अभ्यन्तर के स्थान पर सेमीकंडक्टर मेमोरी कण का प्रयोग होने लगा।
जिससे इनकी छमता बहुत बढ़ गयी। हार्ड डिस्क की छमता  लगभग 1 जीबी (1 GB) से लेकर 100 जीबी (100 GB) तक बढ़ गयी।

माइक्रोप्रोसेसर तथा मेमोरी (MEMOIRE) के अपार छमता के चलते इस दौर के कंप्यूटर के कार्य करने को छमता काफी तेज हो गयी।

इसी दौर में C भाषा (C LANGUAGE) चलन में आयी जो बाद में चल कर C++ हुयी।
इनका उपयोग भी मुख्य रूप से होने लगा।
ऑपरेटिंग सिस्टम (OPERATING SYSTEM) में भी काफी सुधार हुआ।

इसी दौर में UNIX , MS DOS , APPLE'S OS , WINDOWS , LINUXचलन में आये।

कंप्यूटर नेटवर्क (COMPUTER NETWORK) ने कंप्यूटर के सभी संसाधनों को एक दूसरे से साझा के लीये सुबिधा प्रदान की।

जिसके कारण एक कंप्यूटर का दूसरे कंप्यूटर
से जानकारियो का आदान प्रदान संभव हुआ।
पर्सनल कंप्यूटर (PC) इसी दौर में चलन में आया। जिनका आकार पिछली पीढ़ी के कंप्यूटर से काफी छोटा था। परन्तु इनके कार्य करने की छमता उनसे बहुत अधिक थी।

इनकी उत्पादन लागत भी बहुत कम थी। चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर शक्तिशाली मजबुत और सस्ते थे। जिससे इनकी पहुच आम लोगो तक संभव हुयी।

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      FIFTH GENERATION कंप्यूटर की पाचवीं पीढ़ी।

ULSI (ULTRA LARGE SCALE INTEGRATION) अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेशन। (1990 से अब तक)


माइक्रोप्रोसेसर के संरचना में VLSI (VERY LARGE SCALE INTEGRATION) के स्थान पर ULSI (ULTRA LARGE SCALE INTEGRATION) चिप का उपयोग होने लगा।

4 से 7 मईक्रोप्रोसेसर एक साथ एक ही चिप में स्थापित होने लगें। जिसके कारण ये बहुत शक्तिशाली हो गए।
इनकी मेमोरी (MEMORIE) की छमता की छमता भी बढ़ गई। जो 4 जीबी (4 GB) से भी ज्यदा बढ़ गई है। साथ ही साथ हार्ड डिस्क (HARD DISK) की छमता 2 टेराबाइट से कही ज्यदा पहुच गई है।

इस समय के मेनफ्रेम कंप्यूटर की कार्य करने की छमता पिछले समय के मेनफ्रेम कंप्यूटर के कार्य करने की छमता से काफी अधिक हो गयी है।

कंप्यूटर के उत्पादन लागत में भारी कमी हुई। जिसके करण ये सस्ते हुए। और घर-घर में इनकी पहुच संभव हुई। इनका उपयोग कई छेत्रो में हो रहा है।
इस पीढ़ी का विकासक्रम अभी चल रहा है।
कंप्यूटर जगत नए नए आयाम को छुने के लिए अब भी अग्रसर है।

पाचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर का आकार बेहद ही कम हो गया है। पाल्म टॉप , मोबाइल (MOBILE) जैसे उपकरण तो अब हमारे हाथों में आ गए हैं।

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